चकबंदी की प्रक्रिया

चकबंदी की कार्यवाही बिहार जोतो का समेकन एवं खण्डकरण निवारण अधिनियम, 1956 की धारा 3 के अन्तर्गत सरकार द्वारा अधिसूचना प्रकाशित की जाती है। इसी से इसका कार्य प्रारम्भ होता है। जहाँ से लागू किया जाता है वहाँ उस राजस्व ग्राम में डुगडुगी पिटवाई जाती है तथा इसकी सूचना ग्राम पंचायत राजस्व हल्का कार्यालय, थाना, अंचल में भी दी जाती है।

जिस राजस्व ग्राम में चकबंदी कार्य प्रारम्भ होते हैं उस ग्राम में अन्य कचहरियों में लंबित वाद वहीं रूक जाते हैं और उन्हें चकबंदी न्यायालय में दायर किया जायेगा।

चकबंदी विधान की धारा 7 के अन्तर्गत कम से कम पाँच और अधिक से अधिक बारह सदस्यों की एक ग्राम सलाहकारणी समिति बनायी जायेगी। जिनके सलाहकार चकबंदी की प्रक्रिया सम्पन्न की जायेगी।

भूमि पंजी का निर्माण वर्त्तमान अधिकार अभिलेख (Servey Records of Rights) के आधार पर की जाती है। भूमि पंजी और सिद्धान्त तय होने पर उन्हें प्रकाशित किया जाता है। प्रकाशन से तीस दिन तक आम रैयतों को निरीक्षण का समय दिया जाता है। यदि उस पर कोई आपत्ति हो तो भूमि पंजी के प्रकाशन की तिथि से 45 दिनों के अंदर अपना आपत्ति कर सकते हैं जिसकी सुनवाई चकबंदी विधान की धारा 10(2) के तहत की जाती है।

धारा 10(2) के आपत्ति के निराकरण के बाद ग्राम सलाहकार समिति एवं रैयतों की राय-मसवरा से चक प्रारूप तैयार किया जाता है, जिसमें रैयतों के हित में इस बात का ध्यान दिया जाता है कि किसी रैयत को भूमि के मुल्य के अनुसार तीन से अधिक चक ना हो तथा जहॉ तक हो आयताकार हो, जहाँ सबसे बड़ा प्लाट हो, सिंचाई की व्यवस्था हो, उसी व्यक्ति को वहाँ चक मिले, यह ख्याल रखा जाता है। स्कूल, अस्पताल, गोचर, शमशान, खेल का मैदान आदि जो गाँव के लिए जरूरी हो उसका प्रबंधन के लिए यदि गैर मजरूआ जमीन नहीं है तो भू-धारियों से उसके लिए दान ली जाती है।

चक प्रारूप प्रकाशन के बाद उसमें कोई आपत्ति होती है तो 30 दिनों के अंदर धारा 10(2) के अन्तर्गत आपत्ति चकबंदी पदाधिकारी के समक्ष दाखिल करते हैं। आपत्ति के निष्पादन से संतुष्ट न होने पर 30 दिनों के अंदर धारा 12(2) के अन्तर्गत सहायक निदेशक/उप निदेशक के समक्ष अपील कर सकते हैं। अपील की सुनवाई के पश्चात् चक पंजी में आवश्यक सुधार कर चक की सम्पुष्टि की जाती है और धारा 17(क) में दिये हुए तरीके से अपने-अपने चकों की दखल-देहानी करा दी जायेगी। दखल-देहानी के बाद चकों के पर्चे दिये जाते है और पर्चे ही उनके अंतिम अधिकार अभिलेख हो जाते हैं तथा सर्वे का खतियान और नक्शा का अधिकार शून्य हो जाता है।


चकबंदी निदेशालय,राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार ,पटना